इस धरा पर ममता और प्यार के ईश्वर की सबसे बड़ी परिकल्पना अर्थात माँ,
माँ पर एक कवितातू जननी इस जीवन की
माता तुम्हे जग कहती है
जिन जीवन के मूल में
सुख बच्चे की बसती है,
माँ शब्द हीं संपूर्ण है माँ
तेरी किरदार लिखना मैं चाहूँ
पर मैं शब्द कहाँ से लाऊँ माँ।
तू ममता की श्रेष्ठ देवी
तू अशेष हो जग में माँ
तुमने बिठा नौ माह कोख में
जो मुझमे प्राण पिलाया है
वह वैभव मैं कहना चाहूँ
पर शब्द कहाँ से लाऊँ माँ।
ईश्वर,जिनको सबने पूजा
ईश्वर ने भी तुमको पूजा
मैं अपनी हद कहाँ से लाऊँ माँ
तू क्या है बतलाने को
मैं शब्द कहाँ से लाऊँ माँ।
---गौरव
#drgkpoetry
Gr8 poem👍🙏
ReplyDeleteThanks for appreciation
DeleteAnd keep reading my poetry
Wah dil ko chhune wala kavita h
ReplyDeleteThanks for appreciation
DeleteWah bahi,aap ne dil jit liya
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