Sunday 28 April 2019

Poetry on mother, माँ

इस धरा पर ममता और प्यार के ईश्वर की सबसे  बड़ी परिकल्पना अर्थात माँ,

माँ पर एक कविता

तू जननी इस जीवन की
माता तुम्हे जग कहती है
जिन जीवन के मूल में
सुख बच्चे की बसती है,
माँ शब्द हीं संपूर्ण है माँ
तेरी किरदार लिखना मैं चाहूँ
पर मैं शब्द कहाँ से लाऊँ माँ।

तू ममता की श्रेष्ठ देवी
तू अशेष हो जग में माँ
तुमने बिठा नौ माह कोख में
जो मुझमे प्राण पिलाया है
वह वैभव मैं कहना चाहूँ
पर शब्द कहाँ से लाऊँ माँ।

ईश्वर,जिनको सबने पूजा
ईश्वर ने भी तुमको पूजा
मैं अपनी हद कहाँ से लाऊँ माँ
तू क्या है बतलाने को
मैं शब्द कहाँ से लाऊँ माँ।
                          ---गौरव
#drgkpoetry

Poetry on mother, माँ

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